छत्तीसगढ़ राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन से देश की राजनीति का एक सितारा टुट गया है। अल्बर्ट आइंस्टीन ने महात्मा गांधी के बारे में कहा था कि हाड़ मांस का कोई व्यक्ति इस धरती पर जन्म लिया था, आने वाली पीढ़ी को यह विश्वास करना मुश्किल होगा जबकि यह उक्ति अजित जोगी पर भी चरितार्थ होगी। ऐसा कह कर महात्मा गांधी की तुलना जोगी से करने की मंशा नहीं है, दोनों व्यक्तित्व के काल व सिद्धांतों में कोई मेल नहीं है। अजीत जोगी के लिए यह उक्ति इसलिए सही प्रतीत होती है क्योंकि छोटे से गांव के गरीब परिवार में जन्म लिए अजीत जोगी ने शिक्षा, प्रशासन, राजनीति के क्षेत्र में जिन ऊंचाइयों को छुआ है, वह किसी अन्य के लिए संभव नहीं है।
अजीत जोगी का जीवन विशिष्ट इसलिए है कि उन्होंने अपने जीवन में वह सभी कुछ प्राप्त किया जो वे चाहते थे, वह भी अपनी शर्तों पर। ऐसा किसी एक क्षेत्र में नहीं बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों में उन्होंने सफलता हासिल की, ऊंचाई तक पहुंचे। गांव में गरीब परिवार में जन्म लेकर किसी व्यक्ति का सपना इंजीनियर बनने का हो तो किसी सामान्य कॉलेज से स्नातक हो जाना बड़ी उपलब्धि हो सकती है लेकिन अजीत जोगी ने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री उस समय मध्य भारत के सबसे बड़े महाविद्यालय मौलाना अबुल कलाम आज़ाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एम ए सी टी, भोपाल) से उच्च श्रेणी में प्राप्त किया। उस समय किसी इंजीनियर को सरकारी नौकरी आसानी से मिल जाती थी, लेकिन अजीत जोगी ने प्रशासन में जाने का सपना देखा तो राज्य सेवा में तहसीलदार या डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए नहीं देश की सबसे बड़ी सरकारी नौकरी आई ए एस बनने का सपना देखा, एक अवसर में आई पी एस बने, उसका प्रशिक्षण भी लिया और इसके बाद आई ए एस का पद प्राप्त किया । याद रहे की यह युवा एक गांव के गरीब परिवार में पैदा हुआ था और अपनी मेधा और परिश्रम से उस पद को प्राप्त किया जिसका सपना हर युवा देखता है।
अजीत जोगी की जगह कोई और हो तो अपनी पृष्ठभूमि की देखते हुए अधिकारी बन जाने पर संतोष कर लेता, और जैसे तैसे ज्यादातर अधिकारी वेतनभोगी होकर अपना कैरियर जी लेते है, वैसा अजीत जोगी को मंजूर नहीं था। जब वे मसूरी में प्रशिक्षण ले रहे थे, उस समय प्रेसिडेंट ऑफ मेस कमेटी का चुनाव होता था, अजीत जोगी यह चुनाव लडे और जीते। एक बार नहीं लगातार तीन बार जीते, यह भी मसूरी की संस्था में एक रिकॉर्ड है। इंदौर जैसे शहर का कलेक्टर नियुक्त होना और सफलतापूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना, वह भी ऐसा की कलेक्टर के पद पर सबसे लंबी अवधि 13 साल तक बने रहने का रिकॉर्ड आज भी जोगी के नाम पर दर्ज है। मतलब उन्हें साधारण जीवन जीना मंजूर नहीं था, हमेशा चुनौती लेना और उसे परास्त करने की उनकी जीवटता उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी और विशिष्ट ताकत थी जो अंतिम समय तक उनके साथ थी। अभी भी जब वे कोमा में गए, सबको लगा रहा था कि जोगी जी स्वस्थ होकर शीघ्र सक्रिय हो जाएंगे। उनकी इच्छाशक्ति इतनी मजबूत थी कि हर विपरीत परिस्थिति में वे चट्टान की तरह संघर्ष करते। स्वयं चुनौती खड़ी कर उसका सफलतापूर्वक सामना करने के गुण को बार बार परखने का साहस अजित जोगी में था । संघर्ष वे मोल लेते थे, उनका शौक बन गया था।
अजीत जोगी का सबसे बड़ा गुण ही कालांतर में उनकी बड़ी कमजोरी बन गया। हर सपने को पूरा करने की चाहत और परिश्रम और योग्यता से मनचाहा प्राप्त कर लेने का सिलसिला ऐसा चला कि अजीत होना उनकी आदत बन गई। लोकतांत्रिक राजनीति मे ऐसा नहीं हो पाता क्योंकि निर्णय जनता का होता है और एक पराजय के बाद विजय प्राप्त करने पांच साल का धैर्य रखना पड़ता है, जोगी ने धैर्य रखने के बजाय अपनी शर्तों पर हासिल कर लेने की जिद ने उनके राजनीतिक पतन की शुरूआत की। लेकिन जोगी कहां हारने वालों में थे, उनका कैरियर जब-जब लड़खड़ाता दिखा वे जल्द ही सम्हल गए और परिस्थिति को अपने अनुकूल बना लिया। अजीत जोगी के व्यक्तित्व में अदम्य साहस और आत्मविश्वास प्रमुख तत्व थे, वे अध्ययन भी खूब करते थे। वे ज्ञानयोग, कर्मयोग और सांख्ययोग के सिद्धहस्त थे।
ऐसा व्यक्ति समाज के लिए प्रेरणस्रोत न बने तो उनका पुरुषार्थ ही व्यर्थ है। छत्तीसगढ़ के युवाओं में क्षमता और योग्यता की कमी नहीं है, केवल अंतर्मुखी और दब्बूपन सबसे बड़ी कमजोरी बन गई है। कोई चुनौती स्वीकार नहीं करना और थोड़े में संतुष्ट हो जाने के कारण प्रदेश का युवा अपनी योग्यता से बहुत कम ही प्राप्त कर पाता है। ऐसे युवाओं के लिए अजीत जोगी एक प्रेरणास्रोत बन सकते हैं। छोटे से गांव के युवक में कभी थोड़े से हासिल कर लेने पर संतुष्टि नहीं मिली, कुछ और बड़ा हासिल करने के सतत संघर्ष का नाम अजीत जोगी है। उन्होंने छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ियों दोनों के विकास का सपना देखा था। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में प्रदेश के विकास का एक नक्शा तैयार किया था, अब भी प्रदेश उसी रास्ते पर चल रहा है। ऐसे संघर्षशील और जीवट महामानव का दुनिया छोड़कर चला जाना, सहसा विश्वास नहीं होता। ऐसी रिक्तता जिसे अजीत जोगी के अलावा कोई भर नहीं सकता। उन्हें सादर श्रद्धांजलि।
लेख , शशांक शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार)
रायपुर , 9425520531