रायपुर। मेरे गाँव किरारी बाराद्वार में तीसरी चौथी की पढ़ाई कर रहे थे, गाँव में एसडीएम, एसडीओपी, तहसीलदार, थाना प्रभारी की #बत्तीवालीगाड़ी आती थी और सीधे निकल जाती थी तो उन्हें देख मैं अपने साथियों से कहता था ये कैसे अधिकारी हैं गाँव के भीड़ को अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हैं, गाँव वालों का हालचाल पुछ लेते तो बहुत अच्छा होता और मैं अपने ग़ुस्से का इजहार करता।
धीरे धीरे मेरे साथियों ने मुझे चिढ़ाना शुरू कर दिया, जब भी कोई बत्ती वाली गाड़ी दिखती मुझसे कहते “ सुखनंदन ओ दे तोर गाड़ी आगे” तो मैं कहता था “हव मोर गाड़ी हे, देखिहा एक दिन वो गाड़ी मोर करा रही अउ मैं गाँव गँवई म भीड़ देख के रुकहुँ”
दोस्तों मेरा बचपन का देखा हुआ सपना पुरा हुआ वो गाड़ी आज मेरे पास है। सकारात्मक सोच के साथ देखा गया सपना और उसके लिए किया गया प्रयास निश्चित सफल होता है।
( सुखनंदन राठौर , पुलिस अफसर छत्तीसगढ़ शासन )